श्रीमती राज्यलक्ष्मी राव एक विशिष्ट प्रोफेशनल, संवेदनशील लेखिका, तथा सामाजिक उद्यमी हैं। उन्होंने हैदराबाद के निज़ाम कॉलेज से बी.कॉम, उस्मानिया विश्वविद्यालय से एम. बी. ए., और अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलिनॉय से एडवरटाइजिंग व मार्केटिंग में स्नातकोत्तर किया है। वे ‘ऑल इंडिया फ़ाउंडेशन ऑफ़ डेफ़ वीमेन’ की संस्थापक अध्यक्ष हैं। यह संस्था सोलह राज्यों में सक्रिय है और श्रवण-बाधित युवतियों के लिए कौशल, रोज़गार और गरिमा का रास्ता बनाती है। ‘इंडो-अमेरिकन चेंबर ऑफ़ कॉमर्स’ के 55 साल के इतिहास में वह पहली महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं। वह टेक महिंद्रा, अम्मा लाइन्स और रेवास पोर्ट्स के निदेशक मंडलों में भी सक्रिय हैं। वह उपभोक्ता अधिकारों की अनुभवी पैरोकार होने के साथ साथ इस विषय पर दो प्रशंसित पुस्तकों की लेखिका भी हैं। कई राष्ट्रीय मंचों पर वह सक्रिय हैं। उन्हें आईबीजी बिज़नेस एक्सीलेंस अवॉर्ड (2020) तथा डॉ. अंबेडकर रत्न अवॉर्ड (यूएन, 2016) जैसे सम्मान मिले हैं। उनका बहुआयामी कार्यक्षेत्र – व्यापार, समाजसेवा और उपभोक्ता अधिकार – महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
प्रोफेसर अनिता चौहान को प्रशिक्षण और परामर्श के क्षेत्र में पच्चीस साल का अनुभव है।वह महेंद्र एंड यंग नॉलेज फ़ाउंडेशन की कार्यकारी ट्रस्टी (Executive Trustee) हैं और एनएमआईएमएस (NMIMS) में बारह वर्षों से कॉर्पोरेट गवर्नेंस, सीएसआर (CSR)और बिज़नेस एथिक्स पढ़ा रही हैं। वे ‘एशियन सेंटर फ़ॉर कॉर्पोरेट गवर्नेंस’ में सस्टेनेबिलिटी ट्रेनिंग का नेतृत्व करती हैं और कंपनियों को ईएसजी (ESG) रणनीति और सीएसआर(CSR) पर परामर्श देती हैं। वह ‘बियॉन्ड डाइवर्सिटी’ के ‘आई-लीप’ कार्यक्रम से युवा महिला पेशेवरों का मार्गदर्शन करती हैं और ‘सहज मार्ग ध्यान’ का नियमित अभ्यास भी करती हैं।
श्रीमती राधिका नाथ ‘महिंद्रा समूह’ की सलाहकार और ‘मुंबई फ़र्स्ट’ के कार्यकारी मंडल की सदस्य हैं, जो मुंबई नगर में जीवन स्टार व निवेश-वातावरण सुधारने में कार्यरत है। तीस वर्षों के व्यापारिक अनुभव के साथ उन्होंने महिंद्रा ग्रुप की रिटेल रणनीति की नींव रखी और ‘Mom & Me’ ब्रांड की स्थापना की। वे आईएमसी लेडीज़ विंग की पूर्व अध्यक्ष (2016-17) हैं। शिक्षा, पर्यावरण और कला के प्रति उनकी गहरी रुचि है।
मनोविज्ञान में ऑनर्स स्नातक श्रीमती अनुजा मित्तल के पास ‘इंटीरियर डिज़ाइन’, ‘जेमोलॉजी’ और ‘डायमंड सॉर्टिंग’ में डिप्लोमा है, साथ ही ‘एलियान्स फ़्रांसेज़’ से बातचीत की फ़्रेंच का प्रमाणपत्र भी प्राप्त किया है। वह पिछले पच्चीस वर्षों से इंडियन मर्चेंट्स चेंबर से जुड़ी हैं और 2020-21 में अध्यक्ष रहीं। वर्तमान में वे अपने परिवार द्वारा संवर्तित के. जी. मित्तल अस्पताल के कार्य संचालन में मुख्य भूमिका निभा रही हैं – जो स्वास्थ्य व समाजसेवा योगदान देता है।
श्रीमती अमृता सोमैया शिक्षा, डिज़ाइन और सामाजिक परिवर्तन के लिए समर्पित हैं। वह ‘सोमैया’ ट्रस्ट और ‘सोमैया विद्याविहार विश्वविद्यालय’ की ट्रस्टी हैं और शैक्षिक अवसर बढ़ाने के साथ समाज को सशक्त करने का काम कर रही हैं। उन्होंने ‘Help A Child to Study’ और ‘सोमैया कला विद्या’ जैसे उद्यमों का नेतृत्व किया है, जो छात्रों और कारीगरों दोनों को सहारा देते हैं। वह मुंबई के लोकप्रिय बुकस्टोर ‘किताब ख़ाना’ की सह-संस्थापक हैं और द सोमैया स्कूल के गवर्निंग काउंसिल की सदस्य हैं।
सुश्री अनार शाह पिछले कई वर्षों से आईएमसी लेडीज़ विंग की सक्रिय सदस्य हैं। वह कई समितियों की अध्यक्ष रह चुकी हैं और संगठन की विभिन्न पहलों में लगन और सादगीपूर्वक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
श्रीमती नयनतारा जैन ने 1975 में लॉरेटो कॉलेज से शिक्षा, मनोविज्ञान और इतिहास में स्नातक किया। वह आईनॉक्स ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ के श्री पवन कुमार जैन की धर्मपत्नी हैं। मुंबई की अनेक सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थाओं से वह लंबे समय से जुड़ी रही हैं और आईएमसी लेडीज़ विंग, ‘इंडस इंटरनेशनल’, ‘अर्चना क्लब’ और ‘फ्रेंड्स ऑफ़ ट्राइबल सोसाइटी’ जैसी संस्थाओं की अध्यक्ष रह चुकी हैं (जो आदिवासी और ग्रामीण समुदायों के उत्थान के लिए कार्य करती हैं)। अपने कार्यकाल में उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण और सामाजिक मुद्दों को मजबूती से उठाया।
श्रीमती पल्लवी शर्मा का दो दशकों से अधिक लंबा पेशेवर सफर मुंबई के सांस्कृतिक और शहरी जीवन से गहराई से जुड़ा है। उन्होंने काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल, छत्रपति शिवाजी महाराज वस्तु संग्रहालय और गह-तह इंस्टीट्यूट जैसी संस्थाओं के माध्यम से अनेक सांस्कृतिक परियोजनाओं में योगदान दिया है।उन्होने काला घोड़ा एसोसिएशन की सीईओ और यूडीआरआई (अर्बन डिज़ाइन रिसर्च इंस्टीट्यूट) की प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं के रूप में मुंबई के विरासत क्षेत्रों के संरक्षण और शहरी नियोजन को प्रोत्साहित किया है। नेशनल सेंटर फ़ॉर परफ़ॉर्मिंग आर्ट्स में उनका मिशन है कि समृद्ध होती कलाएं और अधिक लोगों के जीवन को छुऐं।
श्रीमती पूजा बजाज बजाज इलेक्ट्रिकल्स लि. में सीएसआर–ईएसजी की कार्यकारी निदेशक और बजाज इलेक्ट्रिकल्स फ़ाउंडेशन की अध्यक्ष हैं। उनका कार्य पर्यावरणीय स्थिरता और सामाजिक विकास को सशक्त करने पर केंद्रित है। उन्होंने कर्मचारी स्वयंसेवा और समुदाय परियोजनाओं को मज़बूत रूप दिया है। वह वर्धा के लक्ष्मीनारायण देवस्थान ट्रस्ट की ट्रस्टी हैं और ग्रामीण विकास से गहराई से जुड़ी हैं। आईएमसी लेडीज़ विंग समिति की सदस्य के रूप में वह ग्रामीण महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करती हैं। कला के प्रति उनके लगाव के कारण वह कमलनयन बजाज आर्ट गैलरी की निदेशक हैं। एक प्रतिभाशाली कलाकार के नाते प्रकृति की अमूर्त सुंदरता को दर्शाती जहांगीर आर्ट गैलरी में “Unleashed – Defining the Abstract” शीर्षक से उनकी पेंटिंग की प्रदर्शनी हुई।
श्रीमती प्रियदर्शिनी कनोडिया वित्त और व्यवसाय प्रबंधन की विशेषज्ञ हैं और ‘डेटामैटिक्स ग्रुप’ से सक्रिय रूप से जुड़ी हैं। वह कंपनी के ट्रेज़री ऑपरेशन्स, सीएसआर और पर्यावरण व रोज़गार से संबंधित पहलों का नेतृत्व करती हैं। उन्होंने “अन्नम्” नामक पोषण पहल की सह-स्थापना की जो हर सप्ताह 1,800 वंचित बच्चों को पोषक भोजन प्रदान करती है और ‘सूरज होप फ़ाउंडेशन’ स्थापित किया। दो दशकों से अधिक के अनुभव के साथ वह परंपरा और आधुनिक दृष्टि का संतुलन रखती हैं। वह एक कुशल संतूर वादक हैं; उनका एकल एल्बम “प्रियांजलि” (2001) बहुत सराहा गया। उन्हें संगीत और कला में कई पुरस्कार मिले हैं और वह ‘वाईपीओ’ बॉम्बे चैप्टर की सक्रिय सदस्य हैं जहाँ उन्हें “वाईपीओ स्टार ऑफ़ द ईयर” सम्मान प्राप्त हुआ।
श्रीमती शीला कृपालानी सामाजिक कार्यों से गहराई से जुड़ी हैं। वह ‘बॉम्बे टीन चैलेंज’ और ‘टेरी फॉक्स फ़ाउंडेशन’ के बोर्ड में सदस्य हैं और ‘हैबिटैट फ़ॉर ह्यूमैनिटी इंडिया’ की अध्यक्ष हैं। उनका कार्य यौन कर्मियों और उनके बच्चों के पुनर्वास, कैंसर अनुसंधान और गरीबों के आवास से जुड़ा है। वे आईएमसी लेडीज़ विंग की पूर्व अध्यक्ष भी रही हैं।
कला में स्नातक और विज्ञापन व मार्केटिंग में डिप्लोमा प्राप्त श्रीमती आशा जोशी ने बजाज इलेक्ट्रिकल्स लि. में उल्लेखनीय कार्य किया, जहाँ वे जनरल मैनेजर (विज्ञापन) रहीं और फिर पंद्रह वर्षों तक परामर्शदाता के रूप में कार्यरत रहीं। विज्ञापन और मार्केटिंग के क्षेत्र में उनका अनुभव असाधारण है; उन्होंने कई प्रभावशाली अभियान और प्रदर्शनियाँ सुनियोजित कीं। 1993 से आईएमसी लेडीज़ विंग से जुड़ी रहीं हैं। वह पुरस्कार प्रक्रिया में नामांकन, समन्वय और कार्यक्रम प्रबंधन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए अमूल्य योगदान देती हैं।