वर्तमान वर्ष की निर्णायक समिति

अध्यक्ष, सलाहकार मंडल
श्री मुकुल उपाध्याय

श्री मुकुल उपाध्याय

अध्यक्ष, सलाहकार मंडल

छह दशकों से अधिक समय से बजाज समूह से जुड़े श्री मुकुल उपाध्याय उसकी संचार और ब्रांड यात्रा का अभिन्न हिस्सा रहे हैं।

बजाज इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के उपाध्यक्ष तथा शीर्ष प्रबंधन समिति सदस्य के रूप में उन्होंने कंपनी की ब्रांड पहचान, विज्ञापन संचार, जनसंपर्क तथा मार्केटिंग रिसर्च की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मुकुलजी बजाज समूह की विभिन्न कंपनियों, फाउंडेशनों और न्यासों की विशेष परियोजनाओं और आयोजनों से भी गहराई से जुड़े रहे हैं। उन्होंने बजाज समूह द्वारा प्रकाशित विभिन्न प्रकाशनों का संकलन और संपादन किया है, जिससे बजाज विरासत का सुविचारित और संवेदनशील दस्तावेजीकरण संभव हुआ है।

भारत की विज्ञापन जगत के वरिष्ठ हस्ताक्षर के रूप में वे विज्ञापन संचार में आत्म–अनुशासन के प्रबल समर्थक रहे हैं। उनके उल्लेखनीय योगदानों में शामिल हैं—

  • दो कार्यकाल के अध्यक्ष, इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग असोसिएशन (IAA ) – इंडिया चैप्टर
  • संस्थापक सदस्य, एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI)
  • संस्थापक सदस्य, मीडिया रिसर्च यूज़र्स काउंसिल ऑफ इंडिया (MRUC)
  • कार्यकारी सदस्य, इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवर्टाइजर्स (IAA)
  • दो कार्यकाल के अध्यक्ष, द एडवर्टाइजिंग क्लब, बॉम्बे

उन्होंने अनेक एशियाई और विश्व विज्ञापन सम्मेलनों में भारतीय प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व किया है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय विज्ञापन उद्योग का प्रतिनिधित्व किया है।

मुकुलजी जमनालाल बजाज पुरस्कारों और आई.एम.सी. लेडीज़ विंग जानकीदेवी बजाज पुरस्कार से उनकी स्थापना काल से जुड़े रहे हैं तथा इनके विज़न और विकास में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

प्रबंध निदेशिका, ल्युमिए बिज़नेस सॉल्यूशन्स प्रा. लि.
श्रीमती दीपा सोमन

श्रीमती दीपा सोमन

प्रबंध निदेशिका, ल्युमिए बिज़नेस सॉल्यूशन्स प्रा. लि.

श्रीमती दीपा सोमन ने सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज, मुंबई से अर्थशास्त्र में स्नातक किया और एस.पी. जैन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड रिसर्च से व्यवसाय प्रबंधन में स्नातकोत्तर अध्ययन किया। उन्होंने अपने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत हिन्दुस्तान लीवर लिमिटेड में सेल्स और मार्केट रिसर्च से की। संतुलित और सतत विकास के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर उन्होंने सन् 1996 में ‘ल्युमिए बिज़नेस सॉल्यूशन्स’ की स्थापना की ताकि महिला पेशेवरों को पुनः कार्य क्षेत्र में वापसी का अवसर मिले। ल्युमिए उपभोक्ता अध्ययन, परामर्श और डिज़ाइन के क्षेत्र में कार्यरत है और इसका उल्लेख hbr.org पर केस स्टडी के रूप में तथा रश्मि बंसल की पुस्तक फ़ॉलो एवरी रेनबो में किया गया है।

दीपा एक उपभोक्ता अनुसंधानकर्ता, प्रशिक्षिका, और मार्गदर्शक भी हैं, जो व्यक्तियों एवं संस्थाओं के लिए विचारों की साझेदार के रूप में कार्य करती हैं। वह महिलाओं के कार्य क्षेत्र, उद्यमिता और उपभोक्ता-केन्द्रित नवाचार पर बोलती हैं और अपने यूट्यूब चैनल ल्युमिएलाइट एंड इनसाइट पर ‘ल्युमिए लर्निंग मंडे’ और ‘वाइज़ वेडनसडे’ का संचालन करती हैं। अपने पति मिलिंद के साथ वह नेतृत्व-प्रशिक्षण में सक्रिय हैं। हाल ही में उन्होंने अपने 150 वर्ष पुराने पैतृक घर पर एक डॉक्यूमेंटरी भी बनवायी है।

दीपा जीवन के उद्देश्य, सकारात्मक विचार और आपसी जुड़ाव के प्रति गहरी आस्था रखती हैं और अपने व्यावसायिक तथा सामाजिक प्रयासों से दूसरों को प्रेरित करती रहती हैं।

सह-संस्थापक, युवा परिवर्तन (वाई.पी.)

श्रीमती मृणालिनी खेर

श्रीमती मृणालिनी खेर

सह-संस्थापक, युवा परिवर्तन (वाई.पी.)


श्रीमती मृणालिनी खेर एक प्रसिद्ध सामाजिक उद्यमी हैं जिन्होंने शिक्षा, कौशल विकास और समुदाय सशक्तिकरण के क्षेत्र में तीन दशकों से अधिक समय से समर्पित सेवा दी है। शिक्षा और सामाजिक सेवा के लिए समर्पित परिवार में जन्मी मृणालिनी ने इस विरासत को खेरवाड़ी सोशल वेलफेयर असोसिएशन (KSWA) में अपनी सक्रिय भूमिका से आगे बढ़ाया, जहाँ वह पिछले 35 वर्षों से मानद सचिव और ट्रस्टी के रूप में सेवा दे रही हैं। वह युवा परिवर्तन (YP) की सह-संस्थापक भी हैं, जो के.एस.डब्ल्यू.ए. की एक पहलकदमी है और वंचित स्कूल छात्रों के जीवन को कौशल विकास एवं रोजगार के अवसरों के माध्यम से बदल रही है।

वर्षों से मृणालिनी ने महिला उपलब्धियों के सम्मान में रोज़गार और जीविकोपार्जन पर सात अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, छह कैरियर मेले और “ब्रेकिंग बैरियर्स, स्टैंडिंग टॉल” जैसे कार्यक्रम आयोजित किए हैं। उन्हें एन.एस.डी.सी., टेडएक्स, सी.आई.आई., आई.आई.टी. – रुड़की, एक्स.एल.आर.आई.- जमशेदपुर जैसे मंचों पर सामाजिक उद्यमिता और कौशल विकास पर अभिभाषण  के लिए आमंत्रित किया गया है और वह  आई.आई.टी.- मुंबई के छात्रों की मार्गदर्शिका भी रही हैं। वे कंपनियों के लिए POSH (यौन उत्पीड़न निवारण) और कार्यस्थल कानूनों पर कार्यशालाएँ भी संचालित करती हैं।

‘युवा परिवर्तन’ के अलावा वह  ‘ब्लू स्टार फाउंडेशन’ की ट्रस्टी हैं और ‘स्टेप अकादमी’, उदयपुर जैसे संस्थानों की सलाहकार मंडल के सदस्य के रूप में शिक्षा एवं सामाजिक कल्याण के प्रयासों से जुड़ी हैं। अपने पति किशोर खेर के साथ वह  ‘श्वाब फाउंडेशन’ द्वारा ‘सोशल एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर’ पुरस्कार के फ़ाइनलिस्ट रही हैं, जो उनकी आजीवन सामाजिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

अध्यक्ष, इंडएशिया फंड एडवाइजर्स प्रा. लि
श्री प्रदीप शाह

श्री प्रदीप शाह

अध्यक्ष, इंडएशिया फंड एडवाइजर्स प्रा. लि

प्रदीप शाह भारत के वित्तीय और कॉर्पोरेट क्षेत्र के अग्रणी उद्योगपति और व्यवसायी हैं, जिनकी दूरदर्शी भूमिका ने देश के वित्तीय परिदृश्य को नई दिशा दी। उन्होंने सन् 1998 में ‘इंडएशिया’ की स्थापना की और 2001 में ए.एम.पी. के साथ संयुक्त उपक्रम के माध्यम से भारत के प्राइवेट इक्विटी क्षेत्र को सशक्त बनाया। इससे पहले वह ‘इंडओशन फंड’ की स्थापना में सहयोगी रहे और क्रिसिल (CRISIL) के संस्थापक प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया – जो भारत की पहली और सबसे बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है। यहाँ उन्होंने 800 से अधिक कंपनियों का मूल्यांकन किया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संस्थान निर्माण तथा ज्ञान-साझा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल के पूर्व छात्र, प्रदीप शाह चार्टर्ड एवं कॉस्ट अकाउंटेंट हैं और सी.ए. (CA) परीक्षा में पूरे भारत में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने यूएसएआईडी (USAID), ‘वर्ल्ड बैंक’ और ‘एशियाई विकास बैंक’ जैसे संगठनों के परामर्शदाता के रूप में कार्य किया है तथा कई राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय वित्तीय और सुशासन समितियों में प्रमुख भूमिकाएँ निभाई हैं।

प्रदीप शाह वर्तमान में ‘कंसाई नेरोलैक’, ‘ग्राइंडवेल नॉर्टन’ और ‘सोनाटा सॉफ़्टवेयर’ के अध्यक्ष हैं तथा ‘बी.ए.एस.एफ.(इंडिया)’, ‘गॉदरेज एंड बॉयस’, ‘हार्डी ऑयल एंड गैस (यू.के.)’, ‘फ़ाइज़र’ और ‘टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन’ सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों के बोर्ड में सदस्य हैं। वे ‘यूनिवर्सल ट्रस्टीज़ प्रा. लि.’ के सह-संस्थापक हैं और grow-trees.com जैसे सामाजिक उद्यम के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण को बढ़ावा दे रहे हैं।

सह-संस्थापक, वंदना फाउंडेशन
सुश्री सौम्या रॉय

सुश्री सौम्या रॉय

सह-संस्थापक, वंदना फाउंडेशन

सौम्या रॉय मुंबई स्थित पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो वंचित समुदायों के सशक्तिकरण के लिए निरंतर कार्यरत हैं। सन् 2010 में उन्होंने ‘वंदना फाउंडेशन’ की सह-स्थापना की, जो शहर के सबसे गरीब लघुतम उद्यमियों के जीवन और आजीविका में सुधार के लिए समर्पित है तथा देवनार जैसे समुदायों के साथ गहराई से कार्य करती है। उनकी रचनाएँ फ़ोर्ब्स इंडिया, wsj.com, और ब्लूमबर्ग न्यूज़ जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशनों में प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने एशिया की सबसे बड़ी गन्दी बस्ती धरावी पर आधारित पुस्तक धरावी: द सिटीज़ विदिन (हार्पर कॉलिन्स, 2013) में एक अध्याय भी लिखा है।

चीफ - सी एस आर प्रोजेक्ट्स एंड प्रिंसिपल ऑफिसर - बजाज चैरिटेबल ट्रस्ट्स
श्री श्यामसुंदर श्रीकृष्ण मनियार

श्री श्यामसुंदर श्रीकृष्ण मनियार

चीफ - सी एस आर प्रोजेक्ट्स एंड प्रिंसिपल ऑफिसर - बजाज चैरिटेबल ट्रस्ट्स

श्यामसुंदर मनियार एक प्रतिष्ठित इंजीनियर और परोपकार क्षेत्र के अग्रणी नेता हैं, जिनका पेशेवर जीवन चार दशकों से अधिक का रहा है। उन्होंने आई.आई.टी. बॉम्बे से मैकेनिकल इंजीनियरिंग  में बी.टेक किया और भारत के राष्ट्रपति की राष्ट्रीय मेधा छात्रवृत्ति प्राप्त की।

अपने उद्यम की स्थापना से पहले उन्होंने कई प्रतिष्ठित भारतीय और बहुराष्ट्रीय इंजीनियरिंग कंपनियों में वरिष्ठ  पदों पर कार्य किया। लगभग 30 वर्षों तक उन्होंने अपनी कंपनी का सफल संचालन किया जो केमिकल, फार्मास्यूटिकल, एग्रोकेमिकल, पेट्रोकेमिकल, पेस्टिसाइड और पेंट उद्योगों के लिए विशेष प्रक्रिया मशीनों के डिज़ाइन एवं निर्माण में अग्रणी रही – जिसे भारतीय और अंतरराष्ट्रीय सलाहकार संस्थाओं द्वारा मान्यता प्राप्त थी।

पिछले 11 वर्षों से श्री मनियार बजाज ग्रुप में कार्यरत हैं। वे 47 न्यासों की परोपकारी गतिविधियों और वित्तीय संचालन का दायित्व संभालते हैं। उनके मार्गदर्शन में इन न्यासों ने समाज विकास, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अन्य सामाजिक कल्याण क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है, जिससे राष्ट्र-निर्माण और सेवा की बजाज-परंपरा और अधिक सुदृढ़ हुई है।

पूर्व उप-कुलपति, एस.एन.डी.टी. विमेन्स यूनिवर्सिटी, मुंबई
डा॰ वंदना चक्रवर्ती

डा॰ वंदना चक्रवर्ती

पूर्व उप-कुलपति, एस.एन.डी.टी. विमेन्स यूनिवर्सिटी, मुंबई

डॉ॰ वंदना चक्रवर्ती एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और समाजकार्य विशेषज्ञ हैं जिनका उच्च शिक्षा, वयस्क साक्षरता और सामुदायिक विकास में तीन दशकों से अधिक नेतृत्व प्रदान किया है। उन्होंने केरल विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में स्वर्ण पदक प्राप्त किया, टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टी.आई.एस.एस.), मुंबई से समाजकार्य में एम.ए. और पीएच.डी. की उपाधि अर्जित की तथा एस.एन.डी.टी. विमेन्स यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया।

उनका एस.एन.डी.टी. विश्वविद्यालय से लंबा जुड़ाव रहा, जहाँ उन्होंने प्रो-वाइस चांसलर, निदेशक – आजीवन शिक्षण एवं विस्तार, तथा समाजकार्य विभाग प्रमुख जैसी वरिष्ठ अकादमिक और प्रशासनिक भूमिकाएँ निभाईं। उनके नेतृत्व में तैयार कार्यक्रमों ने हजारों विद्यार्थियों और सामूहिक शिक्षार्थियों पर प्रभाव डाला। उन्होंने भारत का पहला ‘एम.ए. इन नॉन-फॉर्मल एजुकेशन एंड डेवलपमेंट’ प्रारंभ किया और अनेक सर्टिफिकेट व वोकेशनल  पाठ्यक्रम आरंभ किए जिन्होंने देशभर में महिलाओं और बालिकाओं को सशक्त किया।

डॉ॰ चक्रवर्ती के विद्वत् कार्यों में पुस्तकें, समीक्षित शोध-लेख, भारत सरकार के लिए किए गए अध्ययन और यूजीसी की ई-पीजी पाठशाला परियोजना हेतु तैयार 150 से अधिक ई-लर्निंग मॉड्यूल शामिल हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें फुलब्राइट फैलोशिप प्राप्त हुई, उन्होंने वुर्ज़बर्ग विश्वविद्यालय में अतिथि प्राध्यापक के रूप में कार्य किया और 2024 में इंटरनेशनल हॉल ऑफ़ फ़ेम इन एडल्ट एंड कंटीन्यूइंग एजुकेशन में स्थान प्राप्त किया। उनके योगदान को टैगोर साक्षरता पुरस्कार, भास्कर कर्वे पुरस्कार और निरंजना समाजकार्य शिक्षा पुरस्कार जैसे सम्मानों से भी मान्यता मिली है।

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