श्रीमती जानकीदेवी बजाज (1893–1979) का जीवन त्याग, साहस और धैर्य की प्रेरक कहानी है। मध्य प्रदेश के जावरा में एक समृद्ध वैष्णव मारवाड़ी परिवार में जन्मीं जानकीदेवीजी के जीवन में मात्र आठ वर्ष की उम्र में एक निर्णायक मोड़ आया, जब सन् 1902 में उनका विवाह बारह वर्षीय जमनालालजी बजाज से हुआ।
पति जमनालालजी की गांधीवादी सिद्धांतों के प्रति निष्ठा से प्रेरित होकर उन्होंने सादगी को अपनी शक्ति बनाया।
जानकीदेवीजी ने जो जीवन-मूल्य माने वही जिये। उनका जीवन सक्रिय सामाजिक सुधार का जीवंत उदाहरण बन गया।
जानकीदेवीजी ने गांधीजी का स्वराज का संदेश दृढ़विश्वास के साथ गाँव-गाँव पहुँचाया।
“महिला उद्यमिता” शब्द प्रचलन में आने से बहुत पहले जानकीदेवीजी ने इसे अपनी दूरदृष्टि कर्म तथा ग्रामीण आत्मनिर्भरता के प्रति निष्ठा से साकार किया।
जानकीदेवीजी की दूरदृष्टिता आज भी उन संस्थाओं, पुरस्कारों और पहलों में जीवित है जो उनके मूल्यों, आदर्शों व कार्यों से प्रेरित हैं।
जैसा जानकीदेवीजी कहा करती थीं — “नारी का कार्य जब करुणा और जिम्मेदारी से जुड़ता है, तब वह कइयों के जीवन को कठिनाइयों से उबार लेता है।”