पुरस्कार के बारे में

उत्पत्ति और इतिहास

पुरस्कार के बारे में

पुरस्कार के उद्घाटन समारोह में : (बाएँ से दाएँ) श्रीमती किरण बजाज (वर्ष 1992-93 की अध्यक्ष एवं पुरस्कार की संस्थापक), डॉ. सुशीला नायर (मुख्य अतिथि), श्रीमती इंदिरा महिंद्रा (संस्थापक - अध्यक्ष, पुरस्कार उप-समिति)

उत्पत्ति और इतिहास

1992-93 में जब श्रीमती किरण बजाज आईएमसी लेडीज़ विंग की अध्यक्ष थीं, विंग ने अपने कार्यक्रमों का विषय रखा – ‘अपने भीतर की उद्यमी शक्ति को पहचानो।’ यही विचार आगे चलकर ‘जानकीदेवी बजाज पुरस्कार’ के रूप में साकार हुआ – ताकि उन महिला उद्यमियों का सम्मान किया जा सके जो ग्रामीण भारत के जीवन में वास्तविक बदलाव ला रही हैं। बजाज इलेक्ट्रिकल्स लि. के सौजन्य से यह पुरस्कार एक स्थायी और सार्थक मंच बन गया।

पिछले तीन दशकों से यह पुरस्कार उन महिला उद्यमियों को सम्मानित कर रहा है जिन्होंने गाँवों के जीवन में परिवर्तन की लहर पैदा की। अखिल भारत में ख्यातिप्राप्त यह सम्मान, साहस, आत्मनिर्भरता और समाज के प्रति अटूट निष्ठा को प्रोत्साहित करता है जो जानकीदेवीजी के जीवन मूल्य थे।

पुरस्कार के बारे में

पुरस्कार के उद्घाटन समारोह में : (बाएँ से दाएँ) श्रीमती किरण बजाज (वर्ष 1992-93 की अध्यक्ष एवं पुरस्कार की संस्थापक), डॉ. सुशीला नायर (मुख्य अतिथि), श्रीमती इंदिरा महिंद्रा (संस्थापक - अध्यक्ष, पुरस्कार उप-समिति)

उद्देश्य और महत्व

इस पुरस्कार की जड़ में जो उद्देश्य हैं, वे हैं:

उन महिला उद्यमियों को मान्यता व प्रोत्साहन देना जो आत्मनिर्भर उद्यम चला रही हैं।

ऐसी महिला उद्यमियों को सम्मानित करना जो ग्रामीण भारत के सामाजिक और आर्थिक जीवन में सुधार ला रही हैं।

अन्य महिलाओं को आत्मविश्वास के साथ स्वावलंबन और उद्यमिता की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना।

इस सम्मान को प्राप्त करना राष्ट्रीय गौरव की बात है। साथ ही, यह याद दिलाता है कि एक अकेली महिला का संकल्प भी असंख्य जीवनों को दिशा दे सकता है।

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पुरस्कार के अंग

  • इस पुरस्कार के अंतर्गत 10 लाख रुपयों की राशि और एक प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता है।
  • यह पुरस्कार प्रति वर्ष एक विशिष्ट समारोह में, प्रतिष्ठित व्यक्तियों की उपस्थिति में दिया जाता है।

पात्रता और मापदंड

यह पुरस्कार उन महिला उद्यमियों के लिए है – चाहे वह स्वयं हों या किसी महिला-नेतृत्व वाले समूह का हिस्सा हों – जिनके उद्यम आत्मनिर्भर हैं और जो गाँवों में रोज़गार, जीवन-स्तर और आत्मसम्मान को बेहतर बना रहे हैं।

जो उद्यम मुख्यतः अनुदान या दान पर निर्भर हैं, वे इस सम्मान के पात्र नहीं हैं। यह पुरस्कार उस उद्यमशीलता का सम्मान है जो अपने बलबूते पर खड़ी होती है।

चयन प्रक्रिया

हर वर्ष नामांकन आमंत्रित किए जाते हैं। नामांकन फॉर्म ऑनलाइन या डाक द्वारा भेजे जा सकते हैं। सभी प्रविष्टियाँ पात्रता के आधार पर परखी जाती हैं, और एक अनुभवी निर्णायक समिति उद्यम की क्षमता, स्थिरता और सामाजिक प्रभाव का मूल्यांकन करती है। सर्वसम्मति से चयनित विजेता को वार्षिक समारोह में सम्मानित किया जाता है।

मार्गदर्शन और सहयोग

जब 1993 में आईएमसी लेडीज़ विंग ने इस पुरस्कार की नींव रखी, तब तत्कालीन अध्यक्ष श्रीमती किरण बजाज ने अपने दृष्टिकोण और मार्गदर्शन से इसे आकार दिया। बजाज इलेक्ट्रिकल्स के सहयोग ने इसे सार्थकता व निरंतरता दी। वर्षों से उनका यह स्थिर सहयोग इस पुरस्कार की मूल भावना को जीवित रखे हुए है।

“जैसा जानकीदेवीजी कहा करती थीं — “नारी का कार्य जब करुणा और जिम्मेदारी से जुड़ता है, तब वह कइयों के जीवन को कठिनाइयों से उबार लेता है।”

तीन दशकों से यह पुरस्कार शिक्षा, सेवा और सशक्तिकरण की उसी भावना को आगे बढ़ा रहा है — उन महिलाओं का सम्मान करते हुए जो सपने देखती हैं, उन्हें साकार करती हैं और गाँवों में बदलाव की नई लहर लाती हैं।

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